संस्कृति की सतरंगी छटा में निखरती सद्भाव की अयोध्या

अयोध्या ऐसी भूमि है, जहां सभी धर्मों के बहुरंगी फूल खिलते हैं। हिंदू, जैन, बौद्ध, सिक्ख सबके सब इसके आंगन में पलते हैं, पुसते हैं, बड़े होते हैं। ऐसी पवित्र भूमि है, जिसने सबको रिझाया। जैन धर्म में कुल २४ तीर्थंकर हुए। इनमें से पांच तीर्थंकरों ऋषभदेव, अजितनाथ, अभिनंदन...

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भावविह्वल हैं रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तपस्थलियां

ये भावविह्वल हैं। आनंद में निमग्न हैं, सदियां बीत गईं, प्रतीक्षा में। आखिर वह घड़ी आ ही गई। अयोध्या की आध्यात्मिक ऊर्जा के नाभि केन्द्र में रामलला का मंदिर बनने की आहट से रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अन्य तपस्थलियों की भी आस जगी। उन्हें महसूस होता है कि अब...

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अयोध्या के रंग में रंगा वृहत्तर भारत

‘अहो! अयोध्या’ ऐसी पुस्तक है जो आपको अयोध्या की यात्रा पर ले जाती है। इस यात्रा का हर पड़ाव नया कुछ जानने समझने का अवसर उपलब्ध कराता है। रामजी के बहाने मर्यादा, संस्कार, त्याग और पुरूषार्थ को आत्मसात करने का अवसर देतें हैं। पुस्तक के कुछ अंशों के जरिए...

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सांस्कृतिक सूर्य का तूर्यनाद

भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैभवपूर्ण बनाने की परंपरा में अयोध्या से निकले वनवासी श्रीराम की यात्रा मील का पत्थर है। १४ साल की यात्रा के दौरान वनवासी श्रीराम ने अयोध्या की संस्कृति को विभिन्न संस्कृतियों,संस्कारों और विचित्रता के साथ आपस में समन्वय कर स्थापित कर दिया। उन्होंने समाज...

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अयोध्या की महिमा गाती, पुस्तक ‘अहो! अयोध्या’

अयोध्या भूमि में आकर्षण है। आज नहीं आदि से। यहां शांति और संतुष्टि प्राप्त होती है। साधक, श्रद्धालु भक्त के साथ देवता भी यहां वास करना चाहते हैं। भारतीय अध्यात्म जगत में अयोध्या को ऊर्जा और शांति का केंद्र माना जाता है। श्रद्धालुओं से आर्ष ग्रंथों तक इसकी तुलना...

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मै अयोध्या हूँ …..

मै अयोध्या सिर्फ शब्द भर नहीं हूँ , शब्दब्रह्म हूं। कमोबेश व्यापक,व्यापक , अखंड और अनंत जैसी स्थिति मे हूँ। संस्कृति की शिला पर मै हर युग मे स्वर्णिम हस्ताक्षर करती रही हूं। संस्कृति एवं सभ्यता का अंतिम शिरा जिस बिंदु पर जाकर ठहर जाता है , वह मै...

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‘हिंदुत्व की मथनी’ बनी अयोध्या

त्रेतायुग के बाद पिछले बरस की तरह इस बार भी दीवाली ऐसी रही कि अयोध्या निहाल हो उठी। इतिहास करवट ले रहा था। काल का पहिया घूम गया। पहुंच गया दीवाली के प्रारंभ विंदु पर। काल मानों निचुड़कर एक विंदु पर आ गया। त्रेता और कलियुग की बीच की...

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